नंदा देवी जैवमण्डलीय रिजर्व व विश्व धरोहर स्थल | Nanda devi biosphere & World heritage site

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नंदादेवी बायोस्फीयर (Nanda devi biosphere) उत्तराखण्ड प्रदेश का एकमात्र बायोस्फीयर रिजर्व है जिसकी स्थापना वर्ष 1988 में की गई। इसके अंतर्गत लगभग 5860 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान, फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान जैसे संरक्षित क्षेत्रों के साथ – साथ मानव अधिवासों के क्षेत्र भी सम्मिलित हैं, जिनका विस्तार चमोली पिथौरागढ़ तथा बागेश्वर जनपदों में है। बायोस्फीयर रिजर्वों की स्थापना, अंतर्राष्ट्रीय संगठन इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आई.यू.सी.एन.) के मैन एंड बायोस्फीयर कार्यक्रम के अंतर्गत की गई है। इसकी परिकल्पना प्राकृतिक क्षेत्रों एवं उसके आसपास रह रही मानव आबादी को एक इकाई के रूप में मानते हुए संवर्धन की कार्यवाही करना है।

वनस्पतियों जीव-जंतुओं तथा सूक्ष्म जीवों की विजेता एवं एकता को बनाए रखने पारिस्थितिकी विज्ञान तथा पर्यावरण संबंधी अन्य मामलों में अनुसंधान को प्रोत्साहन देने और शिक्षा जागरूकता तथा प्रशिक्षण की सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने इस नंदादेवी जैवमंडलीय सुरक्षित क्षेत्र की स्थापना की। इनके प्रबंधन हेतु कार्य योजना बनाकर भारत सरकार के सहयोग से विभिन्न कार्यक्रम संपादित किए जा रहे हैं।

वर्ष 2004 में यूनेस्को द्वारा भेजे गए वैज्ञानिकों की संस्तुति पर, नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान तथा बायोस्फीयर को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्रदान की गई है। यह उद्यान, देश के हिमालयी राज्यों का पहला अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त उद्यान है। भविष्य में यहाँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर की संस्थायें तथा वैज्ञानिक आयेंगे। भारतवर्ष में अब तक नीलगिरि, सुंदरवन तथा गल्फ आफ मन्नार को ही अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है।

इस जैव मंडलीय सुरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत अवस्थित नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान (चमोली) और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (चमोली) को क्रमशः सन 1988 और 2005 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची (World heritage site) में शामिल किया गया है। अभी तक राज्य के केवल यही तो उस तक की सूची में शामिल किए गए हैं।

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